मेघालय की उमनगोत नदी को देश की सबसे साफ नदी का रुतबा हासिल है। पानी इतना साफ है कि नावें कांच पर तैरती सी नजर आती हैं। शिलांग से 85 किमी दूर भारत-बांग्लादेश सीमा के पास पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के दावकी कस्बे के बीच से बहती है। लोग इसे पहाड़ियों में छिपा स्वर्ग भी कहते हैं। सफाई की वजह यहां रहने वाले खासी आदिवासी समुदायों की पुरखों से चली आ रही परंपराएं हैं। सफाई इनके संस्कारों में है, बुजुर्ग जिसकी निगरानी करते हैं।

हर दिन नदी की सफाई करते हैं लोग
उमनगोत तीन गांवों में से बहती है- दावकी, दारंग और शेंनान्गडेंग। इन्हीं गांवों के लोगों के जिम्मे इसकी सफाई है। मौसम और पर्यटकों की संख्या के हिसाब से महीने में एक, दो या चार दिन कम्युनिटी डे के होते हैं। इस दिन गांव के हर घर से कम से कम एक व्यक्ति नदी की सफाई के लिए आता है।

गांव में करीब 300 घर हैं और सभी मिलकर सफाई करते हैं। गंदगी फैलाने पर 5000 रु. तक जुर्माना वसूला जाता है।

नवंबर से अप्रैल तक सबसे अधिक पर्यटक आते हैं। मानसून में बोटिंग बंद रहती है। उमनगोत के पास के गांव मावलिननॉन्ग को एशिया के सबसे साफ गांव का दर्जा हासिल है।
